इश्‍क के जिस्‍म में रूह इंतकाम और लार्जर दैन लाइफ सिनेमा के दावे की हाईट है 'मरजावां'

रेटिंग 2.5/5
स्टारकास्ट रितेश देशमुख, सिद्धार्थ मल्होत्रा, तारा सुतारिया
निर्देशक मिलाप झवेरी
निर्माता निखिल आडवाणी, दिव्या खोसला कुमार, भूषण कुमार, कृष्ण कुमार
म्यूजिक यो यो हनी सिंह, तनिष्क बागची, पायल देव, प्रशांत पिल्लई, मीत ब्रदर्स
जोनर रोमांटिक एक्शन
अवधि 136 मिनट

बॉलीवुड डेस्क.लेखक निर्देशक मिलाप मिलन झावेरी की ‘मरजावां’ में एक्‍शन के कंधे पर लव स्‍टोरी सवार है। एक तरफ गैंगस्‍टर नायक रघु, गूंगी नायिका जोया और प्‍यार में डूबी तवायफ आरजू की कहानी है तो दूसरी तरफ टैंकर माफिया अन्‍ना और उसके तीन फुटिए बेटे विष्‍णु के बीच रिश्‍तों और ताकत की खींचतान है। विष्‍णु की दुश्‍मनी रघु से भी है, जो अन्‍ना का मुंहबोला बेटा है।

  1. इश्‍क और ताकत की महाभारत में नायक की मदद को रामायण के विभीषण, हनुमान सरीखे उसके दोस्‍त भी हैं। उनका मजहब अलग है, पर मकसद एक। नायक रघु की जिंदगी संवारने को जोया मौजूद है। मगर उसकी संवरी किस्‍मत बिगाड़ने को विष्‍णु भी है। नायिका मारी जाती है, फिर दिल में इंतकाम की आग लिए रघु का क्‍या अंजाम होता है, फिल्‍म उस पर है।

  2. कहानी मुंबई के एक चॉल में सेट है। वहां अन्‍ना और बाद में विष्‍णु की मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। अन्‍ना को ना कहना रघु की फितरत उसके खून तक में नहीं है। उस सूरत में भी यह रघु और विष्‍णु के बदले की महागाथा में तब्‍दील होती है। बस्‍ती के बाकी सारे किरदार उसी दिशा में जाते नजर आते हैं।

  3. रघु के तौर पर सिद्धार्थ मल्‍होत्रा की मेहनत साफ तौर पर झलकी है। आग, पानी, हवा, जमीन, आसमान सबमें उनसे एक्‍शन कराया गया है। चेहरे पर एक्‍प्रेशन लाने को लेकर उनका ट्रैक रिकॉर्ड कमजोर रहा है। उसका उपाय मिलाप झावेरी ने वाइड कैमरा एंगल और बाकी नुस्‍खों से निकाला है। अन्‍ना साउथ के कद्दावर विलेन नासिर बने हैं।

  4. जोया के रोल में तारा सुतारिया की स्‍क्रीन प्रेजेंस दमदार लगी है। उन्‍होंने साइन लैंग्‍वेज भी पूरी तरह पकड़ी है। आरजू बनी रकुल प्रीत ने अपना काम किया है। ‘एक विलेन’ के बाद महफिल फिर से रितेश देशमुख ने लूटी है। विष्‍णु के कमीनेपन की हाईट को उन्‍होंने ऊंचाई दी है। राइमिंग करते डायलॉग्‍स में वे सिद्धार्थ मल्‍होत्रा पर भारी पड़े हैं।

  5. मिलाप अपने इंटरव्‍यूज में साफ तौर पर कहते रहे कि यह मसाला फिल्‍म है। एक्‍शन और इमोशन का भरपूर डोज है, मगर उन्‍हें ‘मोतियों’ के तौर पर सधी हुई कहानी की ‘माला’ में पिरोने में वे चूक गए हैं। फिल्‍म के पूरे मिजाज में मेलोड्रामा इतना ज्‍यादा हो गया है, जितना डेली सोप के सीरियलों में भी नहीं होता है। ‘मैं मारूंगा मर जाएगा, दोबारा जन्‍म लेने से बच जाएगा’ से लेकर ‘मैं बदला नहीं इंतकाम लूंगा’ और सलमान खान के गाने का यूज जिस संदर्भ में हुआ है, वह सब असर नहीं छोड़ता है।

  6. वह इसलिए कि इस मामले में बेंचमार्क रजत अरोड़ा अरसापहले ‘वन्सअपॉन ए टाइम इन मुंबई’ और ‘द डर्टी पिक्‍चर‘ से सेट कर चुके हैं। रहा सवाल एक्‍शन और इमोशन का तो उस फ्रंट पर ऑडिएंस को ‘गजनी’ में पहले ही बहुत कुछ हासिल होता रहा है। उस रिवेंज ड्रामा की कसौटी पर ‘मरजावां’ पर फिदा होने या मर जाने जैसा तो कुछ नहीं है। बदले की इस कहानी का इतना प्रेडिक्‍टेबल होना डाइजेस्‍ट नहीं होता। हां जुबिन नौटियाल, तनिष्‍क बागची और नोरा फतेही से गीत-संगीत पर काम ठीक बन पड़ा है।

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      November 15, 2019 at 04:10PM
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