एथलेटिक्स में ओलिंपिक मेडल आसान नहीं, ये क्रिकेट नहीं कि 5-7 देश ही खेलते हैं: मिल्खा सिंह

एथलेटिक्स में ओलिंपिक मेडल जीतना आसान नहीं है। उसके लिए खिलाड़ी और कोच में संयम, मेहनत और अनुशासन की जरूरत है। इस खेल में मेडल दिलाने के लिए देश की अलग-अलग एजेंसियों को मिलकर गंभीरता से काम करना होगा। तभी परिणाम निकलेगा। मुझे टोक्यो ओलिंपिक में भारतीय एथलीट से मेडल की उम्मीद नहीं है। यह कहना है फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर विश्व प्रसिद्ध एथलीट मिल्खा सिंह का।

उन्होंने एथलेटिक्स मेडल की संभावनाओं पर कहा, ‘ये इतना आसान नहीं है। एथलेटिक्स ओलिंपिक में नंबर-1 खेल है। बाकी खेल उससे पीछे हैं, चाहे वह कुश्ती हो या शूटिंग। यह क्रिकेट नहीं है, जिसमें सिर्फ 5-7 देश ही खेेलते हैं। जिसमें आज भारत जीत गया तो कल हार गया। ओलिंपिक गेम्स में 200 से 220 देेशों के एथलीट हिस्सा लेते हैं। ऐसे में एथलेटिक्स में ओलिंपिक तमगा मिलने वाला नहीं है। आजादी के बाद से कुछ ही एथलीट हैं जो फाइनल तक पहुंच सके हैं, जैसे मैं खुद, पीटी ऊषा, श्रीराम, गुरुबचन सिंह रंधावा, अंजू बॉबी जॉर्ज। हालांकि, हम मेडल नहीं जीत सके। लेकिन, फाइनल में पहुंचना भी आसान नहीं होता।’


केन्या, जमैका की एथलीट फिनिश लाइन से पहले बाजी पलट देती हैं

90 साल के मिल्खा ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि टोक्यो में हमें एथलेटिक्स में कोई मेडल मिल पाएगा। दूती चंद और हिमा दास बेशक बहुत अच्छी खिलाड़ी हैं। लेकिन, उन्हें बेहतर ट्रेनिंग की जरूरत है। उन्हें सही गाइडेंस मिले तो वे कुछ कर सकती हैं। अभी भारत को एथलेटिक्स का स्टैंडर्ड नहीं पता है। अमेरिका, केन्या, जमैका, ऑस्ट्रेलिया की लड़कियां तूफान हैं। वे फिनिश लाइन से पहले बाजी पलट देती हैं।’

खिलाड़ी को वर्ल्ड रिकॉर्ड को ध्यान में रखकर प्रैक्टिस करनी होगी

मिल्खा ने कहा, ‘मैं कोच को जिम्मेदार नहीं ठहराता क्योंकि, वे हमेशा मेरे खिलाफ रहते हैं। मेरा कहना है कि यदि पुलेला गोपीचंद ने वर्ल्ड लेवल के शटलर तैयार किए हैं। पीटी ऊषा के कोच पीतांबरम ने उसे तैयार किया। कुश्ती, बॉक्सिंग, शूटिंग के कोच ओलिंपिक मेडलिस्ट खिलाड़ी तैयार कर सकते हैं तो एथलेटिक्स के कोच क्यों नहीं। जरूरत है तो दृढ़ इच्छा शक्ति और कठिन परिश्रम की।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे कोच और खिलाड़ियों को जरूरत से ज्यादा गंभीर होना होगा। हर एथलीट को अपने-अपने इवेंट के वर्ल्ड रिकॉर्ड को ध्यान में रखकर प्रैक्टिस करनी होगी।’

मिलकर काम करने की जरूरत- मिल्खा

  • 'मेडल के लिए 5 एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा। इनमें एथलीट, कोच, भारतीय एथलेटिक्स फेडरेशन, इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन शामिल हैं। खेल मंत्रालय को इन सब की मीटिंग करनी चाहिए, जिसमें सभी संघों के अध्यक्ष और सचिव शामिल हों।'
  • 'उनसे पूछा जाना चाहिए कि जब सरकार पैसा, स्टेडियम, खेल सामग्री, कोच उपलब्ध करा रही है तो मेडल क्यों नहीं आ रहे।हमें स्कूल गेम्स की नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप से एथलीट तलाशने होंगे और उन्हें तैयार करना होगा क्योंकि स्कूल गेम्स में हर एज ग्रुप का टैलेंट आता है। चुने हुए एथलीट को एकेडमी में डालना होगा।'
  • 'हर स्टेट में एथलेटिक्स एकेडमी खोलनी होगी। एकेडमी में बड़ी सैलरी (2 से 3 लाख) पर कोचों की नियुक्ति कॉन्ट्रैक्ट बेस पर हो।कोचों से कहना होगा कि 2 साल में एशियन, 4 साल में ओलिंपिक मेडलिस्ट खिलाड़ी चाहिए। आप बताओ क्या सुविधाएं चाहिए।साथ ही इन एथलीट के प्रदर्शन पर लगातार नजर रखनी होगी। तब जाकर 2024 ओलिंपिक में मेडल का मौका बन सकता है।'


Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
90 साल के मिल्खा ने कहा- मुझे नहीं लगता कि टोक्यो में हमें एथलेटिक्स में कोई मेडल मिल पाएगा। -फाइल फोटो


https://ift.tt/2WfJrUZ May 09, 2020 at 06:09AM
https://ift.tt/1PKwoAf
Previous Post Next Post

Contact Form