भारतीय मूल का फैन 6 महीने से ‘शेयर द ट्रॉफी’ कैंपेन चला रहा, कहा- इंग्लैंड-न्यूजीलैंड संयुक्त विजेता घोषित हों

खेल डेस्क. भारत और न्यूजीलैंड के बीच टी20 और वनडे सीरीज की क्रिकेट कवरेज के दौरान मैं लगभग हर मैदान पर एक खास भारतीय फैन को देखता हूं। वो न्यूजीलैंड के स्थानीय समर्थकों के पास जाते हैं, उनसे मिलते हैं और गुजारिश करते हैं। कुछ लोग उनकी बातें सुनकर उनके साथ भी खड़े हो जाते हैं तो कुछ बिल्कुल नजरअंदाज कर देते हैं। बावजूद इसके इनके चेहरे का भाव कभी भी नहीं बदलता है। तीसरे वनडे से ठीक पहले न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियम्सन से जब इनकी मुलाकात होती है तो हमने इनकी बातचीत को सुना और हैरान रह गए।

दरअसल, ये क्रिकेट फैन अमेरिका में रहने वाले प्रकाश वाधवा हैं। वाधवा खुद को किसी एक देश का नहीं बल्कि क्रिकेट का फैन मानते हैं। उन्हें इस बात का अफसोस है कि इंग्लैंड के साथ न्यूजीलैंड को वर्ल्ड कप ट्रॉफी साझा ना करवाकर क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था आईसीसी ने नाइंसाफी की है। वाधवा बताते हैं, ‘मैं शेयर द ट्रॉफी कैंपेन करीब 6 महीने से चला रहा हूं। मुझसे कई लोग जुड़े हैं। हम बतौर फैन आईसीसी के सामने आवाज उठाना चाहते हैं ताकि न्यूजीलैंड के साथ न्याय हो।’

‘जब तक आईसीसी हमारी बात नहीं सुनेगा, कैंपेन करते रहेंगे’

आपको ऐसा भी लगेगा कि बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना वाली कहावत इस फैन पर भी लागू होती है, क्योंकि जब न्यूजीलैंड में किसी को गंभीर तरीके से परवाह नहीं है तो ये भारतीय आखिर क्यों झंडा और बैनर लिए हर मैदान के चक्कर काटकर बाकि फैंस में इस मुद्दे को लेकर जागरुकता फैलाने की अनोखी मुहिम में जुटा हुआ है। वाधवा कहते हैं, ‘मीडिया वाले कहते हैं कि भारत क्रिकेट के मामले में सबसे अमीर देश है। उसके पास बेजोड़ टीम हैं और दुनिया में सबसे ज्यादा चाहने वाले हैं। ऐसे में एक भारतीय फैन होने के नाते मेरा दायित्व बना है कि जिम्मेदारी लूं और न्यूजीलैंड के साथ हुई इस नाइंसाफी के खिलाफ आवाज उठाऊं। हमारा इरादा है कि हम इस कैंपेन को इतने लंबे समय तक जिंदा रखें कि आईसीसी हमारी बात सुनने को मजबूर हो।’

वाधवा के मुताबिक पूरे मुहिम की शुरुआत पहले दोस्तों के साथ एक वॉट्सएप ग्रुप से शुरू होते हुए एक फैसबुक पेज तक पहुंची। अब सोशल मीडिया में पूरी दुनिया से उन्हें समर्थन मिल रहा है। बे-ओवल के बाहर बैनर को लेकर जब वाधवा खड़े थे तो हर फैन उनके करीब से गुजरते हुए उनसे मिलता और ज्यादातर उन्हें शाबाशी देते।



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भारतीय मूल के प्रकाश वाधवा अमेरिका के रहने वाले हैं।


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