जापान 56 साल पहले सबसे तेज ट्रेन लाया था, इस बार उड़ने वाली कार; पोडियम-मेडल सब रिसाइकल चीजों के

खेल डेस्क. एक रोबोट स्टेडियम में आपको सीट तक ले जाता है, आकाश में कृत्रिम उल्कापिंड दिख रहे हैं, फ्लाइंग कार में बैठा खिलाड़ी स्टेडियम में ओलिंपिक टार्च रोशन कर रहा है। यह सब भले ही पढ़ने-सुनने में साइंस फिक्शन जैसा लगता है, पर सच है। वेलकम टू टोक्यो ओलिंपिक। यह सब 2020 टोक्यो ओलिंपिक के दौरान दिखेगा। 2011 के भूकंप, उससे आई सुनामी और फिर फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट से फैले रेडिएशन से री-इनवेंट होकर जापान दुनियाभर के हजारों खिलाड़ियों की मेजबानी के लिए तैयार है। यह ओलिंपिक इतिहास का सबसे हाई-टेक ओलिंपिक होने जा रहा है।

यह पहली बार नहीं है, जब दुनिया का सबसे बड़ा और अमीर शहर टोक्यो ओलिंपिक की मेजबानी कर रहा है। 1964 में जापान ओलिंपिक की मेजबानी करने वाला एशिया का पहला देश बना था। तब जापान दूसरे विश्व युद्ध से उबर रहा था। उसने खुद को री-इनवेंट कर सबसे तेज चलने वाली ट्रेन लाकर दुनिया को चौंकाया था। उन गेम्स को अमेरिका की लाइफ मैग्जीन ने "बेस्ट ओलिंपिक इन हिस्ट्री' कहा था। टेक्नोलॉजी के मामले में हमेशा अव्वल रहने वाला जापान करीब आधी सदी बाद एक बार फिर ओलिंपिक के जरिए री-इनवेंट कर रहा है।

8-के रिजॉल्यूशन वाली अल्ट्रा एचडी टीवी लगीं
ओलिंपिक देखने के लिए 8-के रिजॉल्यूशन वाली अल्ट्रा एचडी टीवी लगाई हैं। शहर में लगी हाई टेक्नोलॉजी वाली स्क्रीन फैंस को ऐसा व्यू देगी, जिससे उन्हें लगेगा कि वे उसमें हिस्सा ले रहे हैं।

फेस रिकग्निशन 0.3 सेकंड में पहचानेगा
इस बार ओलिंपिक में वॉलंटियर की भूमिका में रोबोट होंगे। हर साइज के ये रोबोट खेल गांव में खिलाड़ियों की मदद करेंगे। फेशियल रिकग्निशन सिस्टम 0.3 सेकंड में पहचान कर लेगा।

आतिशबाजी की बजाय कृत्रिम टूटते तारे दिखेंगे
जापान ओपनिंग सेरेमनी में फ्लाइंग कार से ओलिंपिक टॉर्च को रोशन करना चाहता है। टोक्यो में आतिशबाजी तो होगी, लेकिन पटाखों से नहीं। बल्कि कृत्रिम टूटते तारे दिखाई देंगे।

भीषण गर्मी से बचाने लार्ज स्पॉट कूलर लगे

  • उसी नेशनल स्टेडियम को री-इनवेंट किया है, जो 1964 के लिए बना था। उस समय उसके ऊपर छत नहीं थी। सिर्फ एक साइड शेड था। गर्मी से बचाने के लिए नए बने नेशनल स्टेडियम में 185 लार्ज स्पॉट कूलर्स लगाए गए हैं, जो स्टेडियम को ठंडा रखेंगे।
  • स्टेडियम के दूसरे और तीसरे फ्लोर को ऐसा डिजाइन किया गया है कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में 80 हजार लोगों को यहां रखा जा सके। बैकअप पावर सप्लाई की व्यवस्था भी है। सोलर एनर्जी का इस्तेमाल होगा।
  • स्टेडियम बनाने में 87% लकड़ी का इस्तेमाल हुआ। इसे बनाने में 10 हजार करोड़ रु. लगे। ओलिंपिक के 60% वेन्यू रियूज्ड-रिसाइकल चीजों से बने हैं।
  • सभी वेन्यू खेलगांव के आसपास 8 किमी के दायरे में हैं। टोक्यो ओलिंपिक के लिए करीब 5 हजार मेडल और पोडियम रिसाइकल चीजों से बने हैं।

खिलाड़ियों के लिए ड्राइवरलेस गाड़ियां
खिलाड़ियों और फैंस के लिए ड्राइवरलेस गाड़ियां चलाई जाएंगी। इन्हें खिलाड़ियों से फीडबैक लेकर डिजाइन किया गया है। क्लीन एनर्जी सोर्स के रूप में हाइड्रोजन और एल्गी (शैवाल) का इस्तेमाल होगा।

जापान सिलिकॉन वैली तक को चुनौती दे रहा है
जापान के ओलिंपिक इतिहास के जानकार सेंड्रा कोलिंस कहते हैं- जापान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने इनोवेशन के जरिए आगे बढ़ रहा है। वह सिलिकॉन वैली के जाएंट्स को चुनौती दे रहा है।

प्रधानमंत्री आबे पिछले गेम्स में सुपर मारियो की ड्रेस में पहुंचे
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे 2016 रियो ओलिंपिक की क्लोजिंग सेरेमनी में सुपर मारियो की ड्रेस में पहुंचे थे। आबे को उम्मीद है कि ओलिंपिक से 2.96 ट्रिलियन येन (करीब 19 लाख करोड़ रुपए) का रेवेन्यू जनरेट होगा। साथ ही डेढ़ लाख से ज्यादा रोजगार पैदा होंगे।



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इसी स्टेडियम में ओलिंपिक की ओपनिंग और क्लोजिंग सेरेमनी होगी।
ओलिंपिक 24 जुलाई से 9 अगस्त तक होगा।


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